रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में बड़ी गिरावट, जुलाई से 50 बिलियन डॉलर का मार्केट कैप गायब – क्या हैं इसके पीछे के कारण?
हालांकि भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की बिक्री और आय वृद्धि को लेकर चिंताओं के कारण दबाव बना हुआ है फिर भी 2024 में भारतीय सूचकांक एशिया के प्रमुख बाजारों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहे हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जुलाई में अपने उच्चतम स्तर से अब तक 50 बिलियन डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन को खो दिया है जिससे भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी कमजोर आय और आर्थिक मंदी का सामना कर रही है। 8 नवंबर 2024 तक मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली इस रिफाइनिंग से लेकर रिटेल तक की कंपनी के शेयरों में इस साल मुश्किल से ही कोई वृद्धि हुई है और यह पिछले लगभग एक दशक में बेंचमार्क NSE निफ्टी 50 इंडेक्स से सबसे अधिक पिछड़ी हुई कंपनी बन गई है।
हालांकि भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की बिक्री और आय वृद्धि को लेकर चिंताओं के कारण दबाव बना हुआ है फिर भी 2024 में भारतीय सूचकांक एशिया के प्रमुख बाजारों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहे हैं।
रिलायंस के शेयरों में गिरावट के मुख्य कारण
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में हालिया गिरावट का मुख्य कारण कंपनी के पिछले महीने के निराशाजनक परिणामों को माना जा रहा है। यह लगातार छठा तिमाही है जब कंपनी के आय अनुमानों को पूरा नहीं कर पाई है। रिलायंस की मुख्य तेल से लेकर रसायन व्यापार में मांग की धीमी गति ने इस नकारात्मक प्रदर्शन में योगदान दिया है जो कि इसके आय के मुख्य स्रोत हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस वर्ष अगस्त में आयोजित अपने वार्षिक शेयरधारक बैठक में हर शेयर पर एक मुफ्त शेयर देने का वादा किया था। हालांकि इसकी टेलीकॉम और रिटेल यूनिट्स की लिस्टिंग को लेकर कोई भी ठोस जानकारी नहीं दी गई। इस प्रकार रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड की वायरलेस सेवा यूनिट जो कि रिलायंस की प्रमुख कंपनियों में से एक है के लिए निवेशकों को अभी भी स्पष्टता का अभाव महसूस हो रहा है।
इस बीच रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने अगस्त महीने में अपने ग्राहकों में कमी का अनुभव किया क्योंकि इसने हाल ही में टैरिफ में वृद्धि की थी। इसके चलते नए ग्राहक जुड़ने की रफ्तार धीमी पड़ी है जो टेलीकॉम सेक्टर में कंपनी के विकास पर असर डाल सकती है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर
भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही लगातार बिकवाली ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर पर दबाव डाला है। इस बिकवाली का प्रभाव खासकर उन कंपनियों पर पड़ता है जो व्यापक बाजारों के मानदंडों को निर्धारित करती हैं। इसके चलते कंपनी के शेयर कीमत में कमी आ रही है। निवेशकों के लिए यह चिंता का विषय है कि कहीं यह गिरावट लंबी अवधि के लिए न हो जाए।
तेल और रसायन कारोबार में मंदी
रिलायंस इंडस्ट्रीज का तेल से लेकर रसायन तक का कारोबार इसके प्रमुख आय स्रोतों में से एक है लेकिन वर्तमान में इन दोनों क्षेत्रों में मंदी देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर तेल की मांग में कमी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण इस क्षेत्र में लगातार दबाव बना हुआ है। इसके चलते कंपनी के परिणाम भी अनुमानों के मुकाबले कमजोर आ रहे हैं जिससे निवेशकों के बीच निराशा का माहौल है।
रिलायंस के लिए आगे की राह
रिलायंस के लिए आगे की राह कठिन हो सकती है खासकर जब तक इसकी टेलीकॉम और रिटेल यूनिट्स के लिस्टिंग की कोई स्पष्ट स्थिति नहीं आती। कंपनी को अपनी टेलीकॉम और रिटेल क्षेत्र में नई रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता होगी ताकि यह निवेशकों के विश्वास को बहाल कर सके। इसके अलावा इसके तेल और रसायन कारोबार में मांग की स्थिति को सुधारने के लिए भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।